कुछ के लिए बुरा तो कुछ के लिए ताकत और क्षमता हूँ हां में वही रावण हूँ.... अपने झूठे स्वाभिमान का सन्मान लोग सतयुग से करते आ रहे है औरतों की इज़्ज़त उतारने वाले आज खड़े हो के मेरे पुतले जला रहे है पुतले जलाने से क्या होगा हर तरफ राख और धुआं होगा अपने अंदर झांक के देख ये गुरूरी रावण जो तुजसे अच्छा कई गुना होगा.... ना में मरा था और ना में हारा था मुझे बस मेरे विश्वास और भरोसे ने मारा था हां किया गलत एक औरत की इज़्ज़त के लिए दूसरी को उठा लाया था... पर उस राम ने सीता को गीता सा पाक और कुरान सा साफ ही वापस पाया था... तो क्यूं सतयुग से लेके कलयुग तक आज भी सीता अग्निपरीक्षा से गुजरती है कभी अपनो में तो कभी परायों में वो आज भी अपनी पवित्रता साबित करती है... हां में वही रावण हूँ जिसको अयोध्या के राजा राम ने हराया था और जिसके लिए हराया था वो खुद भी उसे अपने पास ना रख पाया था... हां तो ठिक है में घमंडी में पापी में ताकत का प्रतीक हूँ हां में वही दशानंद ज़िद्दी हूँ और थोड़ा सा ठिठ हूँ... तुम सब राम बन जाओ मैं रावण ही ठीक हूँ....