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Showing posts from May, 2020

वायरस

शायद कुछ ज्यादा बाहर निकल गए थे हम, शायद कुछ ज्यादा बाहर निकल गए थे हम यही वजह थी के लौट को घर को जाना पड़ा हमारी जान इस इकॉनमी से कई गुना ज़्यादा जरूरी है अफसोस के ये समझाने के लिए एक वायरस को आना पड़ा हम ग़ैर जरूरी मुद्दों में उलझे थे शायद इसीलिए कुदरत को हमे ये आईना दिखाना पड़ा अस्पताल मजहबी लड़ाइयों से ज्यादा जरूरी मुद्दा है अफसोस हमें ये समजाने के लिए एक वायरस को आना पड़ा कोई ऐसा भी मर्ज है कहीं के जिसकी कोई दवा नहीं, कोई ऐसा भी मर्ज है कहीं के जिसकी कोई दवा नहीं, तौबा इसके आगे तो इश्क़ को भी मुह छुपाना पड़ा जंग आपस में नहीं होती आफत से होती है अफसोस हमे ये समजाने के लिए एक वायरस को आना पड़ा हमने तो हथियार बनाये, मैदान ऐ जंग तैयार किये, ये तो इस दफा हमे मजबूरन साथ निभाना पड़ा  जान जाए भले किसी भी मुल्क में तो दर्द होता है सबको, अफसोस के हमे ये समझाने के लिए एक वायरस को आना पड़ा... अफसोस के हमे ये समझाने के लिए एक वायरस को आना पड़ा...